Sunday, July 26, 2009

गोष्ठी: श्रावण मास में शिव आराधना

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गुलाबी नगर विचार मंच
की गोष्ठी "श्रावण मास में शिव आराधना" में मुख्या वक्ता के रूप में बोलते हुए गलता पीठाधीश्वर श्री अवधेशाचार्य ने कहा की श्रावण मास का नक्षत्र श्रवण है एवं चंद्रमा उसका स्वामी है। शिव की आराधना भी शीतल मन से करनी चाहिए। शिव की आराधना सभी अनिष्ट व अमंगल दूर करती है. जगत कल्याण कारक होने से शिव को शंकर कहा जाता है। शिव जल्दी तुष्ट होते हैं इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है. वे औघड़ दानी भी हैं. श्रावण मास में शिव जी की आराधना करनी चाहिए। अराधना भक्ति, आस्था व धैर्य के साथ करने से फलप्रद होती है।
अध्यक्षीय उद्वोधन में सत्य नारायण शर्मा "कलाकार" ने कहा की जयपुर का राज घराना शिव भक्त अर्थात शैव था। एक समय यहाँ राज आज्ञा प्रसारित हुई थी की हर देवालय में शिव मूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने आग्रह किया की सांप्रदायिक विद्वेष छोड़ कर समन्वय का रास्ता अपनाते हुए शैव, वैष्णव, शाक्त सभी को एक दुसरे का आदर करना चाहिए.
गोष्ठी में वैद्य हरिमोहन शर्मा, ज्योति कोठारी, मिर्जा हबीब बैग "पारस", चावला जी आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन मंच के अतिरिक्त संयोजक ज्योति कोठारी ने किया। धन्यवाद पूर्व मंत्री डा. उजला अरोरा ने व्यक्त किया।
सभा के अंत में कारगिल के वीरों को श्रद्धांजलि दी गई। प्रख्यात संगीतज्ञ गंगू बाई हंगल के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया।



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